One SKY and Zillion Stars !!


बचपन में गर्मियों की छुट्टियों में हम हमेशा अपनी नानी के घर जाया करते थे। नानी का घर बहुत बड़ा था परंतु फिर भी सभी मासियों और मामा के परिवारों को मिलाकर 40 से 50 लोग हो जाया करते थे। हम सभी भाई बहन रात में कमरो में सोने की बजाय खुले आसमान के नीचे छत पर सोना पसंद करते थे जिसके लिए छत की जमीन पर एक कतार में गद्दे बिछा दिए जाते थे।सभी बच्चे एक दूसरे के अगल बगल सोना पसंद करते थे। पर मैं बचपन से अंधेरे में डरने की वजह से अपनी माँ के पास ही सोती थी।

माँ के पास सोने के तीन फायदे थे पहला कि माँ पूरी रात हाथ वाला पंखा करती थी और दूसरा कि उस भूतिया डरा देने वाले अंधेरे में नेचुरल कॉल आने पर सिर्फ वो ही मेरे साथ उठने की हिम्मत रखती थी। पर इन सब से बढ़कर था तीसरा ...माँ रात में सुलाने के लिए आसमान में टिमटिमा रहे लाखों तारो की कहानियां सुनाती थी। उनके के लिए Ursa Major सात भाई थे जो कि अपनी माँ को चरपाई पर बैठा कर घुमाने जा रहे हैं। जिनमे से चार भाइयों के कंधे पर चरपाई के पैर है और तीन पीछे समान उठा कर चल रहे हैं। चुकि इस कांस्टेलेशन की जगह आसमान में स्थिर नहीं थी तो मै माँ के उस दावे को सच मानती थी कि हां ! ये घूम ही तो रहे हैं। उनके के पास हर तारे से जुड़ी अनगिनत कहानियाँ थी। 

बड़े होने पर नानी के घर जाना कम हो गया और समय के साथ नानी के जाने के बाद बिल्कुल खत्म हो गया। बचपन अपने साथ कई चीज़े ले जाता है मेरे लिए वो खुला आसमान, तारे और उनसे जुड़ी कहानियां भी ले गया। वरना कॉफी का मग हाथ में लेकर तारों को घंटो देखना मेरी हॉबी हुआ करता था। शहरों में गगनचुंबी इमारतों के बीच आसमान टुकड़ो मे दिखता है और हमसे नाराज़ तारे सामने ही नहीं आना चाहते। 


आज 20 साल बाद जैसेलमेर के इस कैम्प मे रात में सोते वक्त वही नानी के घर वाला आसमान और टिमटिमा रहे तारों को देखा। इस अनुभव से आंखों और आत्मा को जो सुकून मिला उसको शब्दो में बयाँ कर पाना मुश्किल है। दिल बार बार बस ये कह रहा था कि काश मेरा लॉबस्टर( Timpu) यहां इस पल होता तो मैं उसे इन तारो से जुड़ी सारी कहानियां सुनाती जो कि उसकी विदेशी सीरीज़ से सौ गुना अच्छी है।







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